स्वतंत्रता दिवस
इस साल भारत 15 अगस्त को अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ था। आजादी के 76 साल पूरे हो गए हैं। इस राष्ट्रीय त्योहार को हम लोग बड़े उत्साह और देशभक्ति की भावना के साथ मनाते हैं।
उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों या फिर वीर सपूतों को नमन करना चाहिए जिन्होंने हमें और देश को आजाद कराने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया था।
भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में लोकतंत्र के हर समर्थक के लिए उत्सव का विषय है। जब भारत स्वाधीन हुआ तो अनेक अंतरराष्ट्रीय नेताओं और विचारकों ने हमारी लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की सफलता के विषय में आशंका व्यक्त की थी
15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा को संबोधित किया। अपने प्रसिद्ध भाषण, ट्रिस्ट विद डेस्टिनी में,
- अनुयायी भारत
- प्रकार राष्ट्रीय अवकाश
- उत्सव राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को संबोधन, झंडे को फहराना, परेड
- देशभक्ति के गीत राष्ट्रगान,
- तिथि 15 अगस्त
- आवृत्ति प्रतिवर्ष
लाल किले पर फहराता स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फहरते झंडे अनेक इमारतों व स्थानों पर देखे जा सकते हैं अद्भुत नजारा
कहा पंहुचा चंद्रयान -3 ? लाइव / kaha pahucha Chandrayaan 3 ? Live
स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ।
17वीं सदी से ही भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना आरम्भ कर दिया था। अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 18वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत करके अपने आप को स्थापित कर लिया था
1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज ब्रिटेन की राजशाही का हो गया। स्वतंत्र दिवस
स्वतंत्रता से पहले स्वतंत्रता दिवस
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित किया। कांग्रेस ने भारत के लोगों से सविनय अवज्ञा करने के लिए स्वयं प्रतिज्ञा करने व पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति तक समय-समय पर जारी किए 15 अगस्त 1947 में, भारत ने लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों से आजादी हासिल की. स्वतंत्रता दिवस हमारे देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों
भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, या एक साल बाद, जब इसने पहली वर्षगांठ मनाई. आजादी के दिन से गिनती करें तो भारत स्वतंत्रता प्राप्ति की 77वीं वर्षगांठ मना रहा होगा. लेकिन 15 अगस्त 1948 से गिनती करें तो 76वें स्वतंत्रता दिवस पर आती है.
200 साल से भी ज्यादा तक भारत पर राज करने वाले ब्रिटिश शासकों को घुटनों पर ला दिया
77वीं वर्षगांठ मना रहा होगा. लेकिन 15 अगस्त 1948 से गिनती करें तो 76वें स्वतंत्रता दिवस पर आती है
देश में हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मानाया जाता है। इस दिन, भारत को लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों द्वारा शासन करने के बाद उनसे आजादी मिली थी। इसलिए यह स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संपूर्ण भारत में एक अलग ही जोश उमरा रहता है और साथ ही साथ स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी सरकारी कार्यालय निजी संस्था हर जगह बहुत हर्ष उल्लास के साथ एक बेहतरीन और जोशीला भाषण लोगों को और भी ज्यादा एकता में पिरोने का कार्य करता है तो आज हम आपको स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर भाषण कैसे देते हैं
देश को स्वतंत्र कराने में कितने बलिदान लगे हैं
महात्मा गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरू सुभाष चंद्र बोस सरदार वल्लभभाई पटेल मौलाना आजाद आदि जैसे महान व्यक्तित्व ने इमानदारी और निष्ठा के साथ देश को आजाद कराने का जिम्मा लिया जिसकी बदौलत आज हम यहां आजादी की 76वी वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं।
भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान लाला लाजपत राय बाल गंगाधर तिलक आदि जैसे क्रांतिकारियों ने देश को आजाद करने की ठानी और अपना बलिदान देकर देश को स्वतंत्र करने में अपने जीवन की अंतिम सांस तक योगदान दिया तो स्वतंत्र दिवस
आन देश की शान देश की, देश की हम संतान हैं,
तीन रंगों से रंगा तिरंगा, अपनी ये पहचान है !
इस अवसर पर देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. लाल किले से लेकर देश के सभी स्कूलों-कॉलेजों में कई प्रोग्राम आयोजित होंगे. इस अवसर प्रधानमंत्री देश को सम्बोधित करेंगे. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर थल सेना, वायु सेना, नौ सेना समेत अन्य सुरक्षा बलों की ओर से परेड निकाली जाती है. इसके अलावा स्कूल-कॉलेजों में बच्चे भी स्पीच देंगे.स्वतंत्रता में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सेनानियों जैसे- महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, चंद्रशेखर आजाद आदि पर भाषण दे सकते हैं. साथ ही साथ तिरंगे के बारे में बात कर सकते हैं कि भारत की आन बान शान तिरंगे का हर रंग क्या दर्शाता है. इसके अलावा तिरंगा पहले कैसा दिखता था और समय के साथ उसमें क्या-क्या बदलाव हुए हैं. इस विषय पर अपनी बात रख सकते हैं
15 अगस्त 1947 में हमारा देश 200 वर्षों बाद अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी से पूरी तरह आजाद हो गया था।
आजाद होने के पीछे हमारे देश के बहुत से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान की अहम भूमिका है जिन्होंने अपने प्राणों को परवाह किये बिना देश की आजादी के लिए खुद को इस न्योछावर कर दिया, ऐसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों की इस निस्वार्थ देशभक्ति को याद करे उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर हम सभी देशवासियों द्वारा हर वर्ष देश की आजादी के दिन को याद करके बड़े ही सम्मान के साथ अपने राष्ट्रीय ध्वज को विद्यालयों, कॉलेजों, बैंक व कार्यालयों में फहराया जाता है।
देश की आजादी के लिए खुद की आहुति देने वाले शहीदों की याद दिलाए. भारत में शहीदों की याद में कई स्मारक बने हैं, जहां जाकर हर भारतीय को गर्व महसूस होता है और उसके भीतर राष्ट्रवाद की भावना जाग उठती है. सभी जानते हैं कि कई सौ सालों की गुलामी के बाद हमें यह आजादी देश की आजादी के लिए खुद की आहुति देने वाले शहीदों की याद दिलाए. भारत में शहीदों की याद में कई स्मारक बने हैंस्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता दिवस जहां जाकर हर भारतीय को गर्व महसूस होता है और उसके भीतर राष्ट्रवाद की भावना जाग उठती है
भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, बालगंगाधर तिलक, सुखदेव, सरदार वल्लभभाई पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, वीर सावरकर जैसे वीरों के संघर्ष और जज्बे की बदौलत ही अंग्रेज भारत छोड़ने पर विवश हुए
ये कहना गलत नहीं होगा कि आजादी के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का त्याग किया और इन्हीं लोगों के कारण हम आज स्वतंत्र देश में रहने का आनंद ले रहे हैं
इस पूरी लड़ाई में कई व्यक्तित्व उभरे, कई घटनाएं हुई, इस अद्भुत क्रांति में असंख्य लोग मारे गए, घायल हुए इत्यादि. अपने सम्मान और गरिमा के लिए हर कोई अपने देश के लिए मौत को गले लगाने का फैसला नहीं कर सकता है! आइये इस लेख के माध्यम से 7 ऐसे महानायकों के बारे में अध्ययन करेंगे स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस
आजादी के लिए लाखों स्वाधीनता सेनानियों ने अपना बलिदान दे दिया. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को हम आजादी का महोत्सव मनाते हैं और उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हैं. जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की बलि दे दी. साथ ही अपने जोशीले नारों और अपने कहे वाक्यों से लोगों में देशभक्ति की भावना जगाई
इस वर्ष भारत की स्वतंत्रता की 77वीं वर्षगांठ है। वहीं, स्वतंत्रता दिवस 2023 ‘राष्ट्र प्रथम, सर्वदा प्रथम’ थीम पर मनाया जाएगा
“वन्दे मातरम्” – बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय
नारे देशवासियों में देशभक्ति का जोश भर देते हैं।
- “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा” – बाल गंगाधर तिलक द्वारा अपनाया गया
- “जय जवान, जय किसान” – लाल बहादुर शास्त्री
- वन्दे मातरम्” – बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय
- ‘करो या मरो’ (करो या मरो) – महात्मा गांधी
- “इंकलाब जिंदाबाद” – भगत सिंह
आजादी 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली। इन सपूतों में और पूरे देश में देशभक्ति और जोश की भावना को भरने के लिए समय-समय पर स्वतंत्रता सेनानियों ने नए-नए नारों को गढ़ा और लोगों को उद्वेलित किया। इन नारों ने देशभक्ति की अलख को जगाए रखा।
आजादी के समय लोगों में चेतना जगाने के लिए सेनानियों ने कई तरीके अपनाए। किसी ने अपने नारों की मदद से तो किसी ने अपने साहित्य के माध्यम से लोगों के बीच देशभक्ति की भावना जगाई और आजादी के लिए लोगों को प्रेरित किया
- -एक भारतीय होने पर गर्व है, हमारे इतिहास को अपनाते हुए!
- 15 अगस्त 1947 को आजादी का तिरंगा फहराया था।
- आजादी के समय लोगों में चेतना जगाने के लिए सेनानियों ने कई तरीके अपनाए। किसी ने अपने नारों की मदद से तो किसी ने अपने साहित्य के माध्यम से लोगों के बीच देशभक्ति की भावना जगाई और आजादी के लिए लोगों को प्रेरित किया
नारे देशवासियों में देशभक्ति का जोश भर देते हैं।
जय हिंद: नेताजी सुभाष चंद्र बोस का यह स्लोगन आज हर कोई अपने भाषण में यूज करता है। स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा: बाल गंगाधर तिलक ने यह नारा दिया था। जय जवान, जय किसान: लाल बहादुर शास्त्री जी का यह नारा आज किसानों के लिए वरदान जैसा है। सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: अल्लामा इकबाल का यह नारा आज के समय में काफी पसंद किया जाता है। सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है: यह स्लोगन रामप्रसाद बिस्मिल ने दिया था, जिसे काफी पसंद किया जाता है।
भगतसिंह बन जाओ। शायरी 2 ना जियो धर्म के नाम पर, •ना मो धर्म के नाम पर, इंसानियत ही है धर्म वतन का, बस जियो वतन के नाम पर वतन पर जो फिदा होगा, अमर वो हर नौजवान होगा, रहेगी जब तक दुनिया ये, अफमाना उसका बयाँ होगा। आजादी की कभी शाम ना होंगे देंगे, शहीदों की कुर्बानी बदनाम ना होने देंगे, बची है लहू की एक बूंद भी रंगों में, तब तक भारत माता का आँचल नीलाम ना होने देंगे। हर तूफान को मोड़ दे दो जो हिन्दुस्तान से टकराए, चाहे तेरा सीना हो छलनी, तिरंगा ऊँचा ही लहराए। स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं धरती सुनहरी अंबर नीला हर मौसम रंगीला, ऐसा देश है मेरा।
मेरे सिर पर लाठी का एक-एक प्रहार, अंग्रेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगा: यह नारा लाला लाजपत राय ने दिया था। दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे: चंद्र शेखर आजाद के इस नारे को आज भी याद किया जाता है।
- वंदे मातरम: यह स्लोगन बंकिमचंद्र चटर्जी ने दिया था।
- अंग्रेजों भारत छोड़ो: इस स्लोगन को महात्मा गांधी ने दिया था।
- सत्यमेव जयते: यह स्लोगन पंडित मदनमोहन मालवीय ने दिया था।
- इंकलाब जिंदाबाद: भगत सिंह का यह स्लोगन काफी लोकप्रिय हुआ।
भारत की राजधानी दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस
दिल्ली में स्वतन्त्रता दिवस हर साल स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम के लिए लाल किले को पूरी तरह सजाया जाता है, लेकिन इस बार लाल किले में किसी भी तरह की भारी भरकम सजावट नहीं की जाएगी. लाल किला अपने असली स्वरूप जैसा ही दिखाई देगा स्वतंत्रता दिवस
देशभक्ति और अपने देश के प्रति प्रेम के महत्व पर विचार करें, अतीत की देशभक्ति और देश के भविष्य को आकार देने में युवा नागरिकों की भूमिका
अगस्त 2023 को भारत अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने वाला है। सन् 1947 में 15 अगस्त के दिन ही भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। यही वजह है कि हर साल हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस को पूरे हर्ष और उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं, इस खास मौके पर स्कूलों और कॉलेज में खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ध्वजारोहण के बाद स्पीच प्रतियोगिता रखी जाती है, जिनमें बच्चे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। ऐसे में अगर आप भी इस भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।
आनंदमठ’ उपन्यास में प्रकाशित बंकिम चंद्र चटर्जी के कालजयी गीत के दो छंद राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकार किए गए हैं। इसमें अपनी मातृभूमि की वंदना की गई है। मातृभूमि पर गर्व किया गया है।
15 अगस्त 1947 को आजादी का तिरंगा फहराया था
यह शब्द आते ही मन में देशप्रेम की भावना आती है। देश के सामने सिर नतमस्तक हो जाता है। यह ऐसा मंत्र है, जिसे हृदय में धारण कर देश के सपूत अमर बलिदानी हो गए। देश को ब्रितानी हुकूमत से आजाद कराने के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए। यह राष्ट्रगीत ही नहीं, राष्ट्र की आत्मा भी है।
* वंदे मातरम् *
यह ऐसा मंत्र है, जिसे बोकर देश के सपूत अमर बलिदानी हो गए। देश को ब्रितानी हुकूमत से आजाद कराने के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए। यह राष्ट्रगीत ही नहीं, राष्ट्र की आत्मा भी है।
सबके दिल में देशभक्ति का नया रंग भर जाता है प्यार, जूनून और स्नेह से अपने स्वतंत्र सेनानियों और योद्धाओ को याद करते हुए जिन्होंने अपने देश को आजाद करने में अपनी जान तक कुर्बान कर डाली। तो आये आपको ले चलते है सीधे ही उस दिलको छु लेने वाली स्पीच या छोटे से भाषण को जिनमें बच्चे प्रतिभाग लेते हैं। अगर आप भी ऐसे किसी प्रतियोगिता या कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं जिसमें आपको स्वतंत्रता दिवस से जुड़े नारे एवं स्लोगन की आवश्यकता हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें
ऋण है शहीदों का मगर, कैसे इसे चुकाएंगे
लहू की जब तक बूंद है, तिरंगा हम फहरायेंगे।
मेरे सिर पर लाठी का एक-एक प्रहार, अंग्रेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगा: यह नारा लाला लाजपत राय ने दिया था। दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे: चंद्र शेखर आजाद के इस नारे को आज भी याद किया जाता है।देश की आजादी के लिए खुद की आहुति देने वाले शहीदों की याद दिलाए. भारत में शहीदों की याद में कई स्मारक बने हैं, जहां जाकर हर भारतीय को गर्व महसूस होता है और उसके भीतर राष्ट्रवाद की भावना जाग उठती हैदेश की आजादी के लिए खुद की आहुति देने वाले शहीदों की याद दिलाए. भारत में शहीदों की याद में कई स्मारक बने हैं, जहां जाकर हर भारतीय को गर्व महसूस होता है और उसके भीतर राष्ट्रवाद की भावना जाग उठती है. सभी जानते हैं कि कई सौ सालों की गुलामी के बाद हमें यह आजादी स्वतंत्रता दिवस
तिलक वर्मा भारत की वनडे विश्व कप टीम में अतिरिक्त खिलाडी हो सकते हैं।