Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” यह एक गरीब परिवार की कहानी है। यह परिवार गरीब है इसलिए इनके पास एक घर है वो भी कवेलू का है, इसलिए लेखक ने इस कहानी का टाइटल “कवेलू का टोपरा” दिया है। इस कहानी को पूरा अंत तक पढ़े तो ही आप इस कहानी के भाव को समझ पाएंगे.
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इस Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” की शुरुआत दादी के दिरदार से होती है
सोने का समय होने चला था, दादी की आवाज सुनाई दी, बरसात का पानी दरवाजे के पास पंहुच चुका है। जल्दी से बिस्तर एवं आवश्यक वस्तुए समेट लो, गाव में चलना पड़ेगा। दस दिनों से हो रही लगातार बारिस की वजह से यह रात, आखरी रात “कवेलू का टापरे” में गुजारना मुस्किल नजर आ रही थी।
पापा – माँ ने घर का आवश्यक सामान बोरे में भरना शुरू कर दिया था। कुछ खाने के सामान, बर्तन एवं सोने के बिस्तर, यह सब देखर मेरा मन विचलित होता जा रहा था। दरवाजे पर पानी लगातार आगे बढ़ रहा था। रात के अँधेरे में किसके घर जायेंगे और कैसे जायेंगे, यह सब सोंचकर घबराहट भी हो रही थी।
Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” में मुख्य किरदार के मन की व्यथा
Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” में आगे : चिमनी के उजाले से “कवेलू के टापरे” में जब देखा तो जगह्- जगह पानी टपक रहा था, पानी टपकने की जगह स्टील के बर्तन (तपेली, कड़ाई, थाली) आदि रखे हुए थे और कही पर मिटटी के बर्तन रखकर सुखी जगह बचाने की कोशिश की जा रही थी क्योकि पूरा टापरा ही टपक रहा था।
Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” में गाय की जगह: इस कवेलू के टापरे के कोने में गाय बांधने की जगह है, जिसे हम “छान” के नाम से जानते हैं। टापरे के एक कोने में गाय भी बंधी हुई है। बारिश का पानी “छान” में भी भर गया है, इस करण से गाय भी उठकर कड़ी हो गई है। गाव के अन्दर पशु का भी घर होता है और वो हमारे घर के अन्दर ही होता है। गावों में पशु भी घर का सदस्य ही होता है, इसलिए गाय को साथ ले जाने का सोंचा, लगने लगा था जाने क्या होगा यह पर ?
पापा ने अचानक दरवाजा खोला और देखा तो बारिश थोड़ी कम होने लगी थी। मन के अन्दर थोडा सकून लगने लगा। दरवाजे के चारो ओर खूब पानी बह रहा था, मानों टापरे के आस-पास “बाढ़” सी आ गई हो।
थोड़ी देर बाद पिता जी की आवाज सुनाई और उन्होंने कहा “जब से इस घर में रहने आये, इतनी बारिश कभी नही देखी मैने“।
Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” में दादी के मुख से जानेगें : संयुक्त परिवार
दादी के मुह से सुना था यह टापरा लगभग 07 वर्ष पुराना हु हुआ है। इसके पूर्व पूरा परिवार गाँव में निवास करता था। परिवार के सदस्य बढ़ने के कारण, सबका एक साथ रहना मुस्किल होने लगा था।
यह पांच बहनों एवं तीन भाइयों से सजा परिवार था। इस Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” में हम सब संयुक्त परिवार रहते थे। घर के अन्दर घोड़े , भैस एवं गाय का जमावड़ा था। सब कुछ अच्छा हरा-भरा था।
अचानक रात के अँधेरे में, चोरों ने धावा बोला और दीवार खोदना शुरू किया, इतने में दादी की नींद खुल गई। दादी ने दादाजी को जगाया किन्तु दादाजी ने दादी की बात को सुना-अनसुना (अनदेखा ) कर दिया। सुबह उठकर देखा तो घोड़े, भैस एवं गाय सब गायब थे मतलब चोरी हो चुके थे। ये सब बाते दादी सुना रही थी।
Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” में पानी का द्रश्य
दादी की थोड़ी देर बाद आवाज आई : बारिश बंद हो गई है, थोडा इंतजार करके गाँव में चलेंगे। हमने थोडा इंतजार किया अब पानी (बरसात) पूरी तरह बंद हो चला था। मन के अन्दर रात के इस भयानक दृश्य से दर कम हो रहा था।
अब सुबह हो गई थी। चारो और पानी ही पानी बह रहा था। अब में दरवाजे से दूर चला गया था, Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” के सामने बैल गाड़ी के गडार (बैल गाड़ी का रास्ता ), पानी से पूरी भर गया था। मेरा मन बार -बार इसके पास जाकर देखने का कर रहा था, पर माँ-पापा की डाट के कारण जाना संभव नही था, क्योकि आस -पास पानी ही पानी भरा हुआ था।
निष्कर्ष :-
Desi Kahani: “कवेलू का टापरा” कहानी में एक गरीब परिवार की स्थिति बताई गई है। एक गरीब परिवार का बरसात (बारिश) के दिनों में क्या हाल रहता है इसके बारे में समझाने की कोशिश की गई है।
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